यदि कोई व्यक्ति हमारे प्रति विरोधी भाव रखता है तो वह उसका धर्म है, परन्तु हमारा धर्म यह है कि हम उसके प्रति कोई विरोधी भाव न रखें । सदैव हम सबका हित चिन्तन करें, जरूरत पड़ने पर हर हमेशा सहयोग के लिए तत्पर रहें । अन्य के सुख में अपना सुख, अन्य के विकास में अपना विकास समझने वाला व्यक्ति ही वास्तव में मानव कहलाने योग्य है ।
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