Tuesday, April 28, 2020
जीवन का प्रमुख उद्देश्य
हम लोग मूलतः अमरलोक के वासी हैं , जहाँ हम कभी मनभावनी मुक्ति अवस्था में थे, परमात्मा के सानिध्य में थे, सच्चिदानन्द स्वरूप थे, उस स्थान पर अनन्त सूर्यों का प्रकाश था, परमानन्द के अनन्त–महासागर में हम डुबकी लगा रहे थे । हममें अहंकार का भाव उत्पन्न हुआ, फलस्वरूप हमारा पतन हुआ, हम इस प्रकृति में आ गए, जो कि दुख एवं अशांति का महासागर है । हम इस दुःख एवं अशांति से छुटकारा पाना चाहते हैं । इस हेतु हम सतत अनेक उपाय भी करते हैं, परन्तु हमारा हर उपाय हमारे दुःख एवं अशांति को बढ़ाता ही जाता है, सुकून के पल नसीब ही नहीं हो पाते हैं । हम और इस प्रकृति में बंधते चले जाते हैं । हमारे इस दुर्गति का एकमात्र कारण हमारा अहंकार ही है, इस अहंकार को जड़मूल से समाप्त करने के स्थान पर हमारा हर कर्म, हर प्राप्ति इसे पोषित ही करती रहती है । अहंकार को जड़मूल से समाप्त करने का इस धरती पर एक ही उपाय है–विहंगम योग की साधना, साधना के साथ हम सत्संग एवं सेवा भी करते रहें । श्री सदगुरू प्रभु जी की परम् कृपा से हमारा अहंकार जड़मूल से समाप्त हो जावेगा, हम समाधि अवस्था प्राप्त कर लेंगे, हम अपने निज लोक अमरलोक जाने के पात्र बन जायेंगे, जीवनमुक्त अवस्था प्राप्त कर लेंगे । और-------------यही हमारा जीवन का मूल उद्देश्य भी है । हम अपने मूल उद्देश्य को न भूलें ।
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