हम सम्पूर्ण सन्सार को जानने का दावा करते हैं, यक्ष प्रश्न यह है कि क्या हम स्वयं को जान पाए हैं ? सन्सार को जानने की अपेक्षा स्वयं को जानने में ही मानव जीवन की सार्थकता है ।
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