Tuesday, April 28, 2020
हमारा स्थायी निवास "अमर लोक"
एलॉट्रॉनिक मीडिया में एक समाचार प्रसारित हो रहा है कि एक महिला जो कि बीजापुर(छत्तीसगढ़) की निवासी थी, वह राजस्थान में नॉकरी कर रही थी । लॉक डाउन में राजस्थान में फंस गई, अपने घर जाने की उसे इतनी तीव्र इच्छा हुई कि वह राजस्थान से घर के लिए पैदल ही निकल पड़ी(जबकि राजस्थान से बीजापुर की दूरी सड़क मार्ग से लगभग 1100किलोमीटर है), अत्यन्त दुःखद विषय यह कि वह महिला बीजापुर पहुँचने के 10 किलोमीटर पहले ही दम तोड़ दी । लॉक डाउन काल में इस प्रकार की अनेक घटनायें समक्ष आ रही हैं कि घर पहुँचने की तीव्र तडफ़ से लोग घर की ओर पैदल ही चल पड़े एवं घर पहुँचने के थोड़ी ही दूरी पहले दम तोड़ दिए । उन सब मृतात्माओं को श्रद्धान्जलि अर्पित करते हुए एक चिन्तन उत्पन्न होता है कि पूर्ण रूप से अस्थायी निवास एवं अपने रिश्तेदारों से मिलने की हममें इतनी तीव्र तडफ़ होती है । तो हमारे उस स्थायी निवास *अमरलोक* जाने एवं हमारे अपने पिया *प्रभु(परमात्मा)* से मिलने की हममें कितनी तडफ़ होनी चाहिए ???? और.......... यह जीवित रहते हुए ही सम्भव है(मृत्यु के पश्चात नहीं) । इस परम् उद्देश्य की पूर्ति के लिए ही यह देव दुर्लभ मानव तन हमें प्राप्त हुआ है । इस विषय में हम पूर्ण गम्भीरता से चिन्तन-मनन करें ।
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