Tuesday, May 12, 2020

कोरोना का प्रभाव

कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया में जो परिस्थितियाँ उत्पन्न हुई हैं और महा संकट के जो बादल छाए हैं, उसके टलने का निकट भविष्य में कोई आसार नहीं दिख रहे हैं। 

संकट टलने के पश्चात भी पूरी दुनिया पर इसका जो दुष्प्रभाव पड़ेगा, वह भी बड़ा भयावह होगा! यह कोई डराने वाली बात नहीं है, वरन यह एक कटु सत्य है। 

जब किसी राष्ट्र पर संकट आता है, तो प्रत्येक नागरिक उससे प्रभावित होता ही है, चाहे वह किसी भी वर्ग का हो। ‘वह प्रभाव क्या होगा?’ इस बारे में हम ठीक तरह से अनुमान भी नहीं लगा सकते!

फिलहाल हमारे पास हर क्षेत्र में अतिरिक्त सावधानी बरतने के अलावा कोई चारा नहीं है, जैसे; स्वास्थ्य, स्वच्छता, शुद्धता के साथ आर्थिक, पारिवारिक, सामाजिक मामलों में विशेष सावधानी बरतना। 
हमें मितव्ययिता बरतनी पड़ेगी। 

जो परिस्थिति निर्मित हुई है और जो होने वाली है, उससे अप्रभावित रहने के लिए हमें अतिरिक्त मानसिक तैयारी की भी आवश्यकता है। 
इसके लिए योगासन, प्राणायाम, प्रातः भ्रमण करना होगा। सन्तुलित भोजन व अच्छी निद्रा लेते हुए व्यसनों से बचना होगा। ध्यान-साधना, स्तुति-प्रार्थना, सत्संग, आध्यात्मिक ग्रन्थों का पाठन, चिन्तन, प्रभु-सुमिरन, हवन–यज्ञ जैसे दूसरे उपाय हैं, इनसे भी लाभ लेना होगा।

हम सबको नि:स्वार्थ भाव से मानव सेवा करनी होगी। प्रेम, दया-करुणा के मार्ग पर चलकर ही यह संभव है।

मीडिया में फैलायी जा रही जातीय–धार्मिक–क्षेत्रीय–भाषागत–वर्गगत–लैंगिक असमानता को नकारकर नफ़रत के सौदागरों की दुकानें बंद करनी होंगी!

यदि हम सृष्टि द्वारा दिये गए संकेत को समझने में सफ़ल होते हैं, तो यह मान कर चलें कि एक सुनहरा भविष्य हमारा इंतज़ार कर रहा है!


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