Monday, May 11, 2020

ईर्ष्या भाव का परिणाम

जिस प्रकार अग्नि सूखे पत्तों को प्रज्वलित कर ख़ाक में परिवर्तित कर देती है, उसी प्रकार ईर्ष्या भाव मनुष्य को सम्पूर्ण रूप से नष्ट कर देती है ।

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