Wednesday, March 18, 2020

जीवन की सार्थकता

आत्मा को मनुष्य देह का प्राप्त होना, अत्यन्त दुर्लभ है, कितने ही युग–कल्प व्यतीत होने के पश्चात प्रभु की अहेतुकी कृपा से यह सौभाग्य प्राप्त होता है । इससे अधिक दुर्लभ है–सदगुरु का मिलना । सदगुरु के मिलने के पश्चात दुर्लभ है–सदगुरु की सेवा का अवसर प्राप्त होना । अतः जब भी सेवा का परम दुर्लभ अवसर प्राप्त हो, उस अवसर से किसी भी स्थिति–परिस्थिति में नहीं चूकना चाहिए । सेवा ही भक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है और भक्ति सर्व प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है ।

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